गौतम बुद्ध, बौद्ध धर्म के प्रवर्तक और महान दार्शनिक थे। उनका जीवन करुणा, अहिंसा और ज्ञान का आदर्श है।
भगवान बुद्ध का वास्तविक नाम सिद्धार्थ गौतम था और वे बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। उन्होंने ज्ञान की खोज में अपना राजसी जीवन त्याग दिया और वर्षों की साधना के बाद बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया, जिसके बाद वे 'बुद्ध' (जागृत व्यक्ति) कहलाए। उनका जन्म लगभग ५६३ ईसा पूर्व लुम्बिनी में हुआ था और वे लगभग ४८३ ईसा पूर्व में कुशीनगर में परिनिर्वाण को प्राप्त हुए।
भगवान गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ। राजकुमार सिद्धार्थ ने संसार की दुःखमय वास्तविकताओं को देखकर साधु बनने का मार्ग अपनाया।
सिद्धार्थ गौतम का जन्म लुंबिनी में हुआ।
राजकुमार जीवन के दौरान विलासिता और सुख भोग का अनुभव।
सांसारिक जीवन त्याग कर साधना और ध्यान में लीन हुए।
बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया और "बुद्ध" कहलाए।
भिक्षु संघ की स्थापना, चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का प्रचार।
कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया।
सभी प्राणियों के प्रति करुणा और हिंसा का त्याग।
सांसरिक सुख और कठिन तपस्या के बीच संतुलित जीवन।
दुःख, दुःख का कारण, दुःख का अंत और निर्वाण।
सही दृष्टि, संकल्प, वचन, कर्म, आजीविका, प्रयास, स्मृति, समाधि।
मन की शांति और आत्मज्ञान प्राप्त करने का मार्ग।
सभी जीवों के प्रति दया और सेवा।
भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म की नींव रखी और भिक्षु संघ की स्थापना की। उनका ज्ञान और शिक्षाएँ आज भी एशिया और विश्वभर में शांति, करुणा और मानव कल्याण के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने स्तूप, मठ और बौद्ध साहित्य के माध्यम से ज्ञान का प्रचार किया।
उनकी शिक्षाओं से समाज में अहिंसा, समानता और दया का संदेश फैलता है। आज भी विश्वभर में बुद्ध की मूर्तियाँ, मंदिर और स्तूप उनके जीवन और संदेश की स्मृति बनाए रखते हैं।