महात्मा ज्योतिबा राव फूले भारतीय समाज सुधारक, लेखक और शिक्षाविद थे, जिन्होंने 19वीं शताब्दी में महिलाओं और निचली जातियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
महात्मा ज्योतिबा राव फूले (1827–1890) महाराष्ट्र के पुणे में जन्मे एक महान समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उन्होंने जातिवाद, बाल विवाह और महिलाओं की शिक्षा के अभाव के खिलाफ संघर्ष किया। उनके प्रयासों से समाज में शिक्षा और समानता का संदेश फैला।
फूले ने शिक्षा, समानता और जातिवाद के खिलाफ समाज सुधार में अद्वितीय योगदान दिया।
पुणे जिले के श्रवण तालुका में जन्म।
सावित्रीबाई फूले के साथ भारत का पहला स्कूल खोला।
जातिवाद और सामाजिक असमानता के खिलाफ लेखन और आंदोलन।
ज्योतिबा राव फूले का निधन।
सावित्रीबाई फूले के साथ महिलाओं के लिए शिक्षा का प्रचार।
नीची जातियों के अधिकारों के लिए संघर्ष और जागरूकता।
समाज में समानता और न्याय स्थापित करने के लिए आंदोलन।
ज्योतिबा राव फूले ने भारत में दलित और महिलाओं के अधिकारों के लिए शिक्षा और सामाजिक सुधार के आंदोलन की नींव रखी।
उनके द्वारा खोले गए स्कूल और उनके लेख आज भी समाज सुधार और समानता के आदर्श का प्रतीक हैं।