सम्राट बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य के दूसरे शासक थे, जिन्होंने अपने पिता चन्द्रगुप्त मौर्य की विरासत को आगे बढ़ाया और भारतीय उपमहाद्वीप के विस्तार और स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सम्राट बिन्दुसार (लगभग 320 ई.पू. – 273 ई.पू.) मौर्य साम्राज्य के द्वितीय सम्राट थे। वे चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य और रानी दुर्धरा के पुत्र थे। उन्होंने अपने पिता की तरह विशाल साम्राज्य को सुदृढ़ और संगठित बनाए रखा। बिन्दुसार के शासनकाल में मौर्य साम्राज्य भारत के सबसे स्थिर और समृद्ध युगों में से एक था। यूनानी इतिहासकारों ने उन्हें "Amitrochates" (अमित्रघात) के नाम से वर्णित किया है, जिसका अर्थ है — “शत्रुओं का संहारक”।
बिन्दुसार का शासन मौर्य साम्राज्य के स्थायित्व और विस्तार का प्रतीक था। उनके शासनकाल ने अशोक जैसे महान शासक के लिए मजबूत नींव तैयार की।
बिन्दुसार का जन्म चन्द्रगुप्त मौर्य और रानी दुर्धरा के घर हुआ।
चन्द्रगुप्त के संन्यास लेने पर बिन्दुसार का राज्याभिषेक हुआ।
दक्षिण भारत में मौर्य साम्राज्य का विस्तार।
यूनानी राजाओं के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंध स्थापित किए।
बिन्दुसार का निधन, उनके पश्चात पुत्र अशोक का राज्याभिषेक हुआ।
बिन्दुसार ने अपने पिता की नीति का पालन किया और न्यायपूर्ण शासन दिया।
उनके शासन में मौर्य साम्राज्य में शांति, एकता और आर्थिक समृद्धि बनी रही।
विदेशी शासकों से मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित कर सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया।
बिन्दुसार का शासन भारत के स्वर्ण युग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने अपने पिता की नीतियों को जीवित रखा और अशोक जैसे महान शासक को तैयार किया।
उनके शासनकाल में भारत ने राजनीतिक स्थिरता, प्रशासनिक दक्षता और सांस्कृतिक प्रगति का अनुभव किया।