भगवान बुद्ध

जन्म: 563 ईसा पूर्व, लुंबिनी (वर्तमान नेपाल)
मृत्यु (महापरिनिर्वाण): 483 ईसा पूर्व, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश, भारत)

भगवान गौतम बुद्ध, बौद्ध धर्म के प्रवर्तक एवं महान दार्शनिक थे। उन्होंने जीवन भर अहिंसा, करुणा, मैत्री और सत्य के मार्ग का उपदेश दिया। राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में जन्मे, उन्होंने सांसारिक सुखों का त्याग कर मानवता की पीड़ा के निवारण हेतु "मध्यम मार्ग" और "अष्टांगिक मार्ग" की शिक्षा दी। बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे बुद्ध कहलाए। उनकी शिक्षाएँ आज भी शांति और मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती हैं।

भगवान बुद्ध

चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य

जन्म: 340 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, बिहार)
मृत्यु: 297 ईसा पूर्व, श्रवणबेलगोला (कर्नाटक)

चन्द्रगुप्त मौर्य प्राचीन भारत के महान शासक और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे। आचार्य चाणक्य की मार्गदर्शन में उन्होंने नंद वंश का अंत कर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। उनकी रणनीति, प्रशासन और वीरता ने भारतीय उपमहाद्वीप को एक मजबूत राजनीतिक एकता दी। उन्होंने लगभग पूरे उत्तर भारत को अपने अधीन कर लिया और यूनानी शासक सिकंदर के उत्तराधिकारी सेल्यूकस निकेटर को पराजित कर भारत की सीमाओं की रक्षा की। चन्द्रगुप्त ने जीवन के अंतिम वर्षों में जैन धर्म स्वीकार किया और श्रवणबेलगोला में संन्यास लेकर अपनी अंतिम सांस ली।

चन्द्रगुप्त मौर्य

सम्राट बिन्दुसार

जन्म: लगभग 320 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, बिहार)
मृत्यु: लगभग 273 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र

सम्राट बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य के दूसरे शासक और चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र थे। उन्हें "अमित्रघात" (शत्रुओं का विनाश करने वाला) भी कहा जाता था। बिन्दुसार ने अपने पिता के स्थापित साम्राज्य को और अधिक सुदृढ़ किया और दक्षिण भारत तक मौर्य साम्राज्य का विस्तार किया। उनके शासनकाल में मौर्य साम्राज्य उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक फैला हुआ था। ग्रीक इतिहासकारों के अनुसार उन्होंने यूनानी शासकों से संपर्क भी बनाए रखे। बिन्दुसार का सबसे बड़ा योगदान यह था कि उन्होंने विशाल साम्राज्य को स्थिरता प्रदान की, जिसे बाद में उनके पुत्र अशोक महान ने और भी विस्तृत व संगठित किया।

सम्राट बिन्दुसार

सम्राट अशोक महान

जन्म: लगभग 304 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र (बिहार)
मृत्यु: लगभग 232 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र

सम्राट अशोक, मौर्य वंश के तीसरे और सबसे प्रसिद्ध शासक थे। वे सम्राट बिन्दुसार के पुत्र और चन्द्रगुप्त मौर्य के पौत्र थे। अपने शासन के प्रारंभिक वर्षों में वे एक शक्तिशाली और कठोर शासक रहे, किंतु कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व) में हुई भीषण जनहानि ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया। इसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और करुणा, अहिंसा व धर्म के मार्ग पर चल पड़े। अशोक ने धम्म नीति का प्रचार किया, स्तूपों और स्तंभों का निर्माण कराया तथा बौद्ध धर्म के संदेश को एशिया के विभिन्न देशों तक पहुँचाया। उन्हें इतिहास में "अशोक महान" के नाम से अमर स्थान प्राप्त है।

सम्राट अशोक

ज्योतिबा राव फूले

जन्म: 11 अप्रैल 1827, सातारा, महाराष्ट्र
मृत्यु: 28 नवंबर 1890, पुणे, महाराष्ट्र

महात्मा ज्योतिबा राव फूले भारत के समाज सुधारक, शिक्षाविद और दलितों के महान उद्धारक थे। उन्होंने जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष किया और हरिजन समुदाय के लिए शिक्षा और अधिकारों की दिशा में काम किया। उनकी पत्नी सावित्रीबाई फूले के साथ मिलकर उन्होंने महाराष्ट्र में भारत की पहली महिला विद्यालय की स्थापना की। फूले ने महिलाओं के अधिकार, दलित समुदाय की सामाजिक स्थिति सुधारने और शिक्षा के प्रसार के लिए जीवन समर्पित किया। उनका जीवन सामाजिक न्याय और समानता का प्रतीक है।

ज्योतिबा राव फूले

माता सावित्रीबाई फूले

जन्म: 3 जनवरी 1831, नाइकणे, सातारा, महाराष्ट्र
मृत्यु: 10 मार्च 1897, पुणे, महाराष्ट्र

माता सावित्रीबाई फूले भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारक थीं। उन्होंने अपने पति **ज्योतिबा राव फूले** के साथ मिलकर महिला शिक्षा और दलित बच्चों के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण काम किया। सावित्रीबाई ने समाज में व्याप्त जातिवाद, महिलाओं की शिक्षा की कमी और अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया। उनकी प्रेरणा और संघर्ष ने महाराष्ट्र और पूरे भारत में शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। वे न केवल शिक्षिका बल्कि समाज में समानता और न्याय की प्रतीक भी मानी जाती हैं।

सावित्रीबाई फूले

छत्रपति शाहू जी महाराज

जन्म: 26 मई 1874, सोलापुर, महाराष्ट्र
मृत्यु: 6 मई 1922, कोल्हापुर, महाराष्ट्र

छत्रपति शाहू जी महाराज, कोल्हापुर के महाराज और समाज सुधारक थे। वे छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज थे और अपने राज्य में सामाजिक न्याय और समानता के लिए प्रसिद्ध थे। शाहू महाराज ने दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों के अधिकारों के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने **शिक्षा, आरक्षण और प्रशासन में समान अवसर** देने का मार्ग प्रशस्त किया। उनके प्रयासों से समाज में पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी सेवाओं में अवसर प्राप्त हुए। उन्हें आज भी **समानता और सामाजिक न्याय का प्रतीक** माना जाता है।

छत्रपति शाहू जी महाराज

डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर

जन्म: 14 अप्रैल 1891, महू, मध्य प्रदेश
मृत्यु: 6 दिसंबर 1956, नई दिल्ली

डॉ. भीमराव आंबेडकर भारत के समाज सुधारक, कानून विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री और स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे। उन्हें **भारतीय संविधान का निर्माता** कहा जाता है। आंबेडकर ने दलितों और अन्य वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए जीवन समर्पित किया। उन्होंने शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रयासों से भारतीय समाज में जातिवाद के खिलाफ और समानता के पक्ष में कई कानून और नीतियाँ लागू हुईं। डॉ. आंबेडकर का जीवन समाज में न्याय, समानता और शिक्षा का प्रतीक है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर

जगदेव प्रसाद

जन्म: 21 अक्टूबर 1922, सिवान, बिहार
मृत्यु: 6 अक्टूबर 1974, बिहार

जगदेव प्रसाद भारतीय राजनीति के प्रख्यात नेता और समाज सुधारक थे। उन्हें **“पत्ना के चाणक्य”** और **“न्यायप्रिय नेता”** के रूप में जाना जाता है। उन्होंने समाज के वंचित वर्ग, किसानों और पिछड़े समुदायों के लिए संघर्ष किया। जगदेव प्रसाद ने बिहार की राजनीति में सामाजिक न्याय, समानता और गरीबों के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व और साहस ने समाज में नई दिशा और परिवर्तन की राह दिखाई।

जगदेव प्रसाद

अखण्ड भारत की दिशा मे

अखण्ड भारत का दृष्टिकोण एक एकीकृत भारतीय उपमहाद्वीप है.

अखंड भारत के निर्माण के लिए सहयोग करें और बदलाव लाएँ

अखंड भारत केवल एक सपना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक पुनरुत्थान का मिशन है। यह भारत की उस महान परंपरा को पुनः जाग्रत करने की पहल है जिसमें एकता, सहयोग, और राष्ट्र प्रेम की भावना सर्वोपरि हो। हम समाज के हर वर्ग तक पहुँचकर उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करते हैं।

दृष्टिकोण
  • वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना से संपूर्ण भारत को जोड़ना।
  • आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सशक्त, शिक्षित और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण।
  • अखंड भारत की संकल्पना को विश्व पटल पर स्थापित करना।
मिशन
  • भारत को सांस्कृतिक रूप से एकजुट करना और युवाओं को जागरूक बनाना।
  • वंचित वर्गों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मानजनक जीवन उपलब्ध कराना।
  • सामाजिक समरसता, नारी सशक्तिकरण और स्वावलंबन को बढ़ावा देना।
राष्ट्र निर्माण
युवाशक्ति
ऐतिहासिक जागरुता एवं धरोहर एवं चित्र
सांस्कृतिक एकता एवं विरासत
ऐतिहासिक जागरुता

हमारी सेवायें एवं प्रयास

सांस्कृतिक एकता, शिक्षा, और राष्ट्र निर्माण के मूल्यों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हम निरंतर कार्य कर रहे हैं। आइए, एकजुट होकर अखंड भारत के सपने को साकार करें।

शिक्षा सेवा

निर्धन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा व सामग्री उपलब्ध कराना

स्वास्थ्य सेवा

निःशुल्क चिकित्सा शिविर, रक्तदान एवं स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम

सामाजिक सेवा

गरीब एवं वंचित वर्ग की सहायता, अनाथ बच्चों का सहयोग

महिला सशक्तिकरण

आत्मनिर्भरता हेतु प्रशिक्षण व सहयोग

राष्ट्र, युवा शक्ति

युवाओं को एकजुट कर अखंड भारत के विचार को मजबूत करना

सांस्कृतिक एकता

भारत की विविध भाषाओं, परंपराओं और धर्मों को जोड़ने का कार्य

यह हमारी विरासत है, और भविष्य का संकल्प भी।

अखंड भारत: हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत

अखंड भारत केवल एक भूगोलिक कल्पना नहीं, बल्कि एक गहरी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक चेतना का प्रतीक है। यह वह भारत है जो प्राचीन काल में अपनी सीमाओं से नहीं, बल्कि अपने विचारों, ज्ञान, दर्शन, और धम्म से जाना जाता था — एक ऐसा भारत जिसमें आज के भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, अफगानिस्तान और म्यांमार जैसे देश सम्मिलित थे।

अखंड भारत का विचार सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, और भगवान बुद्ध जैसे महान व्यक्तित्वों से जुड़ा है, जिन्होंने इस भूमि को एक सांस्कृतिक सूत्र में बाँधा। इस भारत में धर्म, कला, शिक्षा, विज्ञान और सहिष्णुता का विकास हुआ और नालंदा, तक्षशिला जैसे ज्ञान केंद्रों ने विश्व को दिशा दी।

👉 अखंड भारत का अर्थ है – एक ऐसा भारत जो विभाजन से परे, विचारों की एकता, सांस्कृतिक गौरव, और आध्यात्मिक समृद्धि में अखंड हो।

हम हमेशा राष्ट्र सेवा के लिए तत्पर

राष्ट्र सर्वोपरि – सेवा ही हमारा धर्म

राष्ट्र ही हमारा परम धर्म है।
समाज कल्याण, एकता और विकास के पथ पर अग्रसर होकर
हम सदैव अपने देश की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं।

सेवा संघर्ष – निर्माण

समर्पण से संघर्ष, संघर्ष से निर्माण

सेवा हमारा संकल्प है, संघर्ष हमारी पहचान और निर्माण हमारा लक्ष्य।
हम राष्ट्र और समाज की बेहतरी के लिए कठिनाइयों से जूझते हैं,
और उन्हीं संघर्षों के माध्यम से उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करते हैं।

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सेवा, समर्पण और राष्ट्र निर्माण की ओर एक कदम

अखण्ड भारत सेवा ट्रस्ट का उद्देश्य राष्ट्र और समाज के कल्याण के लिए कार्य करना है।
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हम हमेशा राष्ट्र सेवा के लिए तत्पर हैं

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